Sunday, June 15, 2025

----- || राग-रंग 39 | -----,

|| राग भैरवी ||

प्रभु जी छूटि ना ए माया,
किन्हा निसि दिन सुमिरन जग का हरि सुमिरन बिसराया l सोई कर्मन करतब माना, जब जस जौ मन भाया l पद पद भरमते कुपथ चरिया सद्पथ तै भरमाया l कहि फिरा मैं परम परबोधा पत कइ ना पतियाया l बुध कइ बतियाँ सुधि सुधि बाहुर बहुर बहुर बिहुराया l भूरि भूरि भव भोगन भोगा पहिरा सोया खाया l धरणि परबत लए उत्खंदिया काँकरि चुग चुग लाया l हरियारी थल मरूथल किन्हा भू भू भवन रचाया l जोड़ि जोड़ि कै भया करोड़ी एकै न धरम लगाया l जिअ निकसावत न गयउ पयादहि चातुर कंध बुलाया l मन भर लाकर दाहन माँगा धरिअ चिता जबु काया |

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