Saturday, May 22, 2021

----- || राग-रंग ३४ || -----,

 नियति गति अस मानस करि बाधा | ब्यापत जगत रोग असाधा || 

रोगित जन जन मरै अकाला | औषध हीने औषध साला || 


मात पिता सों भ्रात भगिनी | बिछुरत मरत  जीवन संगिनी || 


भयऊ  बिषानु सरिस ब्याला | गहे अजहूँ रूप बिकराला || 

देस नगर कि बस्ती कि गांवा | गली गली पैसारत पाँवा || 

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ऐसो मरघट आँख न देखे,

भाग भरे