डगर डगर सबु गृह नगर, लघुत त कतहुँ बिसाल |
मंगल रचना सों रचे,परम बिचित्र पंडाल || १ ||
नगर के सभी मार्गों एवं गृहों में कहीं लघु तो कहीं विशाल रूप में मंगल रचनाकृति से परम विचित्र पंडाल रचे गए हैं|
ध्वज पताक तोरन सों गइँ सब गलीं सँवारि |
बंदनबारि बँधाइ के दमकत दहरि दुआरि || २ ||
धवज पताका तथा तोरणादि सामग्रियों से सभी गालियां सुसज्जित हैं बन्दनवाल विबन्धित कर देहली और दीवारी दमक रहीं हैं |
बर बर भूषन बसन सँग साज सुमंगल साज |
जगन मई जग मोहनी भीतर रहहिं बिराज || ३ ||
उत्तम वस्त्राभूषाणों व् सुमांगलिक श्रृंगार से श्रृंगारित होकर जगन्मई महामाया उनके अंतस में विराजित हैं |
बिप्रबृंद अस्तुति करैं गहे आरती थाल |
ढोलु मँजीरु के संगत करत धुनी करताल || ४ ||
ब्राह्मण देव के समूह आरती थाल ग्रहण किए उनकी स्तुति करने में संलग्न हैं | ढोल मंजीरे की संगती करते करतल से मधुर ध्वनि उत्पन्न हो रही है |
कलित केस मौली मुकुट तिलक लषन दए भाल |
कानन कुण्डल सोहिते कंठ मुकुत मनि माल || ५ ||
केशों से विभूषित शीश पर मुकुट तथा मस्तक पर सुन्दर तिलक लक्षित है उनके कानों में कुण्डल तथा कंठ में मणि माल सुशोभित हो रहे है |
जगमग जगमग जोति जग जगत करत उद्दीप |
मग मग मनि मंजरी से बरै मनोहर दीप || ६ ||
स्थान स्थान पर मणियों की पंक्तियों से मनोहर दीपक प्रज्ज्वलित हैं जिसकी जगमगाती ज्योति जागृत होकर समूचे संसार को उद्दीप्त कर रही है |
नौ सक्ति कर दरसन हुँत भईं भीड़ अति भारि |
होत चकित बिलोकि चलत सह बालक नर नारि || ७ ||
नवशक्ति के दर्शन हेतु भारी भीड़ उमड़ पड़ी है | नर नारी बालकों सहित माता की अनुपम झांकी को चकित होकर विलोकते चल रहे हैं |
आजु नगर मनभावनी छाइ छटा चहुँ ओर |
कहत नागर एक एकहि सहुँ होतब भाव बिभोर || ८ ||
सभी नागरिक एक दूसरे से कहते चल रहे हैं कि भई आज तो नगर में चारों ओर मनभावनी छटा छाई हुई है |
छाए गगन आनंद घन चहुँ दिसि भरा उछाहु
भाव भगति सों भरे भएँ प्रमुदित मन सब काहु || ९ ||
गगन में तो जैसे आनंद से परिपूर्ण हो रहा है चारों दिशाओं में उत्साह भरा हुवा है | भाव भक्ति से परिपूरित आज तो सभी का मन आल्हादित है |
मंगल रचना सों रचे,परम बिचित्र पंडाल || १ ||
नगर के सभी मार्गों एवं गृहों में कहीं लघु तो कहीं विशाल रूप में मंगल रचनाकृति से परम विचित्र पंडाल रचे गए हैं|
ध्वज पताक तोरन सों गइँ सब गलीं सँवारि |
बंदनबारि बँधाइ के दमकत दहरि दुआरि || २ ||
धवज पताका तथा तोरणादि सामग्रियों से सभी गालियां सुसज्जित हैं बन्दनवाल विबन्धित कर देहली और दीवारी दमक रहीं हैं |
बर बर भूषन बसन सँग साज सुमंगल साज |
जगन मई जग मोहनी भीतर रहहिं बिराज || ३ ||
उत्तम वस्त्राभूषाणों व् सुमांगलिक श्रृंगार से श्रृंगारित होकर जगन्मई महामाया उनके अंतस में विराजित हैं |
बिप्रबृंद अस्तुति करैं गहे आरती थाल |
ढोलु मँजीरु के संगत करत धुनी करताल || ४ ||
ब्राह्मण देव के समूह आरती थाल ग्रहण किए उनकी स्तुति करने में संलग्न हैं | ढोल मंजीरे की संगती करते करतल से मधुर ध्वनि उत्पन्न हो रही है |
कलित केस मौली मुकुट तिलक लषन दए भाल |
कानन कुण्डल सोहिते कंठ मुकुत मनि माल || ५ ||
केशों से विभूषित शीश पर मुकुट तथा मस्तक पर सुन्दर तिलक लक्षित है उनके कानों में कुण्डल तथा कंठ में मणि माल सुशोभित हो रहे है |
जगमग जगमग जोति जग जगत करत उद्दीप |
मग मग मनि मंजरी से बरै मनोहर दीप || ६ ||
स्थान स्थान पर मणियों की पंक्तियों से मनोहर दीपक प्रज्ज्वलित हैं जिसकी जगमगाती ज्योति जागृत होकर समूचे संसार को उद्दीप्त कर रही है |
नौ सक्ति कर दरसन हुँत भईं भीड़ अति भारि |
होत चकित बिलोकि चलत सह बालक नर नारि || ७ ||
नवशक्ति के दर्शन हेतु भारी भीड़ उमड़ पड़ी है | नर नारी बालकों सहित माता की अनुपम झांकी को चकित होकर विलोकते चल रहे हैं |
आजु नगर मनभावनी छाइ छटा चहुँ ओर |
कहत नागर एक एकहि सहुँ होतब भाव बिभोर || ८ ||
सभी नागरिक एक दूसरे से कहते चल रहे हैं कि भई आज तो नगर में चारों ओर मनभावनी छटा छाई हुई है |
छाए गगन आनंद घन चहुँ दिसि भरा उछाहु
भाव भगति सों भरे भएँ प्रमुदित मन सब काहु || ९ ||
गगन में तो जैसे आनंद से परिपूर्ण हो रहा है चारों दिशाओं में उत्साह भरा हुवा है | भाव भक्ति से परिपूरित आज तो सभी का मन आल्हादित है |