मैं साँस पिय तुम हरिदय मैं आतम तुम देह |
तुम मोहन मैं राधिका सो तो साँच सनेह || १ ||
तुम अधर मैं बाँसुरिया में सुर तुम संगीत |
तुम गीत मैं मधुर तान सो तो साँचिहि प्रीत || २ ||
तुम नरतन में नर्तिका मैं रागिनि तुम राग |
मैं वाद तुम वादबृंद सो साँचा अनुराग || ३ ||
तुम माथ मैं मोरमुकुट मैँ माला तुम हेम |
तुम करधन मैं कंकनी सो तो साँचा पेम || ४ ||
जो मैं कंचन कामिनी तो तुम रूप सिंगार |
मैं मन मुकुर अरु तुम छबि साँचा सोइ प्यार || ५ ||
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देके हंसी पैगाम सुबह ने लिखी शाम |
गुंचों ने खुशबू लिखी मस्त हवा के नाम ||
पेशाँ पे देके सियाह ज़ुल्फ़ों का हिज़ाब |
चाँद को नूरे-चश्म
तुम मोहन मैं राधिका सो तो साँच सनेह || १ ||
तुम अधर मैं बाँसुरिया में सुर तुम संगीत |
तुम गीत मैं मधुर तान सो तो साँचिहि प्रीत || २ ||
तुम नरतन में नर्तिका मैं रागिनि तुम राग |
मैं वाद तुम वादबृंद सो साँचा अनुराग || ३ ||
तुम माथ मैं मोरमुकुट मैँ माला तुम हेम |
तुम करधन मैं कंकनी सो तो साँचा पेम || ४ ||
जो मैं कंचन कामिनी तो तुम रूप सिंगार |
मैं मन मुकुर अरु तुम छबि साँचा सोइ प्यार || ५ ||
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देके हंसी पैगाम सुबह ने लिखी शाम |
गुंचों ने खुशबू लिखी मस्त हवा के नाम ||
पेशाँ पे देके सियाह ज़ुल्फ़ों का हिज़ाब |
चाँद को नूरे-चश्म