----- || राग-रंग | -----
निमूँद निमिष निसि नींद निबेरत नैनन निरंजनाए रे |
निरखत नूतन नभस निकेतन नव नील बसन दसनाए रे ||
निरखत नग मूर्धन्य निभरित निभ नभो केतन निकरते |
निकसे नंदन नंदन नवल नवीन नील नलिन नमन करते ||
नत मस्तक नदि निर्झरि निरंतर नीरज नूपुर निर्झरते |
नेवारी नख नखत नाथ नव नव निर्हारी नीहारि भरती ||
निगदत निगमगान नगर नरदेउ नारी नर निर्माल धरे |
नीराजत नंदलाल नखाल नंदि तुरज निह्नाद करे ||
भावार्थ : - मूंदी पलकों से निद्रा को त्याग कर निशा के नेत्र काजल/माया से रहित हुवे | नील वर्ण के नवीन वस्त्रों को धारण किए आकाशगृह नव नूतन दर्शित हो रहा है | पर्वत की चोटियों में छिपे प्रखर प्रकाश वाले सूर्यदेव उदयित हो रहे हैं | वे नंदन-नंदन नवल नवीन नील नलिन उन्हें नमन करते निष्कासित हो रहे हैं |
नदी झरने भी उनके सम्मुख नतमस्तक हैंउनसे निरंतर मुक्तामय नूपुर झर रहें हैं | नक्षत्रों एवं नक्षत्रानाथ चन्द्रमा का निवारण वह ( नभ को) सुगंध प्रस्तारित करने वाली निहारिकाओं परिपूरित कर रहे हैं | नगर विप्र निगमागान का आख्यान कर रहे हैं ,और नर नारी निर्माल्य लिए नंदकिशोर भगवान श्रीकृष्ण की पूजार्चना कर रहे हैं तो शंख व् नन्दितुर्य मंगल ध्वनि कर रहे हैं |
निमूँद निमिष निसि नींद निबेरत नैनन निरंजनाए रे |
निरखत नूतन नभस निकेतन नव नील बसन दसनाए रे ||
निरखत नग मूर्धन्य निभरित निभ नभो केतन निकरते |
निकसे नंदन नंदन नवल नवीन नील नलिन नमन करते ||
नत मस्तक नदि निर्झरि निरंतर नीरज नूपुर निर्झरते |
नेवारी नख नखत नाथ नव नव निर्हारी नीहारि भरती ||
निगदत निगमगान नगर नरदेउ नारी नर निर्माल धरे |
नीराजत नंदलाल नखाल नंदि तुरज निह्नाद करे ||
भावार्थ : - मूंदी पलकों से निद्रा को त्याग कर निशा के नेत्र काजल/माया से रहित हुवे | नील वर्ण के नवीन वस्त्रों को धारण किए आकाशगृह नव नूतन दर्शित हो रहा है | पर्वत की चोटियों में छिपे प्रखर प्रकाश वाले सूर्यदेव उदयित हो रहे हैं | वे नंदन-नंदन नवल नवीन नील नलिन उन्हें नमन करते निष्कासित हो रहे हैं |
नदी झरने भी उनके सम्मुख नतमस्तक हैंउनसे निरंतर मुक्तामय नूपुर झर रहें हैं | नक्षत्रों एवं नक्षत्रानाथ चन्द्रमा का निवारण वह ( नभ को) सुगंध प्रस्तारित करने वाली निहारिकाओं परिपूरित कर रहे हैं | नगर विप्र निगमागान का आख्यान कर रहे हैं ,और नर नारी निर्माल्य लिए नंदकिशोर भगवान श्रीकृष्ण की पूजार्चना कर रहे हैं तो शंख व् नन्दितुर्य मंगल ध्वनि कर रहे हैं |
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