Saturday, December 1, 2018

----- || राग-रंग १६ | -----,

----- || राग- भूपाली || -----
लोभ लाह बहु नाच नचावै..,
करि न चहिए सो कर करि जावै || १ ||
यह मोहनि माया बहु ठगनी मूरख मन सब जान ढगावै |
यह लाहन सोइ जोहै जोइ अंत चले कछु काम न आवै || २ ||
पथ भटकावत दृक भरमावै दीठिहु ऐसो दोष धरावै |
पर दूषन दृग दरसत फिरती नाहि अपुना दोष दरसावै|| ३ ||
झूठे संगत करत मिताई अरु साँचे कू झूठ कहावै |
अधर्मी अजहुँ सनमान गहे धर्मी धरम करत सकुचावै || ४ ||
कुटिल चालि चलि करत कुचाली कुल कुल कलि कारन उपजावै |
कूट बचन कह कलहु कारि के मन महु बहु बहु करष बढ़ावै || ५ || 

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