Wednesday, October 10, 2018

----- || राग-रंग ५ | -----

----- || राग-रंग | -----

मौज़ूदा वक़्त-ए-तंग तू होजा ख़बरदार |
आने वालि नस्ल तिरी होगी फाँकेमार || १-क ||


जमीं के ज़ेबे तन की दौलतें बेपनाह |
जिसपे एक ज़माने से है बद तिरी निगाह || ख ||


बता के तू है क्या रोज़े हश्र का तलबग़ार |
मौज़ूदा वक़्त-ए-तंग तू होजा ख़बरदार || ग ||


देख तो इस रह में कोई सहरा है न बाग़ |
होगी वो मासूम याँ बेख़ाब बे चराग़ || घ ||


क्या नहीँ है वो इस मलिकियत की हक़दार
मौज़ूदा वक़्त-ए-तंग तू होजा ख़बरदार || ड़ ||

ये मालो-मुलम्मा ये रँगीन सुबहो शाम |
ये ज़श्न ये जलसे ये जलवे सर-ओ-बाम || च ||


बेलौस हँसी पे तिरी (वो) रोएगी जाऱ जाऱ |
मौज़ूदा वक़्त-ए-तंग तू होजा ख़बरदार || छ ||