Sunday, June 15, 2025

----- || राग-रंग 38 | -----,

 || राग भीम पलासी ||


आयो फागुन मास जू पीटै नगर ढिंढोर l
पूछ रहा री राधिका छुपे कहाँ चित चोर ll देखे द्वारि द्वारका पेखे पौरी पौर l निकुंज पंथ कुंज गली ढूँढ फिरा चहुँ ओर l ज्योतिमंडल जुहारै छानै छिति का छोर l बैकुंठ लोक बिलोकया सोधै सुर के ठोर ll जमुना तट कि बंसी बट घट घट लिया टटोर l पनघट पनघट टोह लिए मिले न नंद किसोर ll हार फिर फिर पूछ फिरा ले गोपिन कै नाम l कहु कह मिलेंगे स्याम कह मिले घन स्याम ll कहु कह मिलेंगे स्याम कह मिलेंगे स्याम, पग पग फागुन पूछ फिरे करे न क्षण विश्राम   पनघट पनघट ढूंढ लिया ढूँढा जमुना कारी लिया जुहारा द्वारी द्वारी पर मिले नहीं बनवारी हे री मोहे दरसे नहीं दरसिया चारो धाम फिर दो छन को जा बैठा बंसी बट की छैया पूछा रे बल दाउ भैया कहाँ छुपे कन्हैया अग जग में मैं देख निहारा मिले न नैनाभिराम तीन लोक का भ्रमण किया क्या मथुरा क्या कासी   देखा सारा तारा मंडल देखी लख चौरासी देखी असुर की नगर सारी देखा सुर का ग्राम कहु कह मिलेंगे स्याम कहु कह मिलें स्याम, कहो कह मिले घन कहो तो मिले कहाँ घन स्याम
नैन कुंज राधिका के बैसे पलक हिंडोर l लेय हिलोरा साँवरे गह नेहन की डोर ||

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