Sunday, June 15, 2025

----- || राग-रंग 37 | -----,

 || राग मालकोंस ||


मंदिर मंदिर मूरति तोरी,
सुरपथ रबिरथ किरन संभारे l परबत परबत चरन उतारे ll
भिद अँधियारा भै भिनसारा l जागि जगति हे जग पति तोरी ll निसरत ताल कमल कर जोरे l देय पलक पट नयन निहोरे ll
जागो हे जग बंदन जागो l करत बिनयाबत बिनति तोरी ll लाग निसि लग देहरि द्वारी l जागती जोति जग थकि हारी ll
दिसि उजियारति जगमग जगमग lजरति प्रकीरति कीरति तोरी ll अवध पुरी बृंदाबन कासी l सागर संगम सुख कर रासी ll धीगुनि धुरीनि धर्म कइ धुरी l तीरथ तीरथ संपति तोरी ll तट तट निद्रालस बट छावा l लए करवट जमुहारहिँ नावा ll
पाख पसारत कूजहि पाखी l समपूरन है प्रकृति तोरी ll कुंज कुंज तुम रास बिहारी l बन बन तुम रघुबर बन चारी ll आँगन आँगन तुलसी सोहे l मन माहि मोहिनि सुरति तोरी ll
नगर नगर सब गेह झरोके l जगत बिहासत तुअहि बिलोके ll पंच सबद संगत सुर गावाँ l गावहि श्रुति सुख आरति तोरी ll

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