कुण्डलाय शिरो कुंतलम् । लसितम् ललित ललाटूलम् ॥
नयनाभिराम नलीन सम । श्रीराम श्याम सुन्दरम् ॥
जिनके शीश पर कुंडलित केश हैं जो उनके सुन्दर ललाट पर सुशोभित हो रहे हैं | नलीन के समान वह श्रीरामश्याम सुन्दर नेत्रों को प्रिय हैं |
परम धाम ज्योतिः परो । सर्वार्थ सर्वेश्वरम् ॥
सर्वकाम्योनंत लील:। प्रद्युम्नो जगद्मोहनम् ॥
सर्वोत्तम वैकुण्ठधाम निर्गुण परमात्मा हैं सूर्यादि को भी प्रकाशित करने वाला जिनका सर्वोत्कृष्ट ज्योर्तिमय स्वरूप है महाबली कामदेव के समान अपने अलौकिक लावण्य से सम्पूर्ण विश्व को मोहने वाले |
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