----- || राग-बिहाग || -----
जर जर मनोहर दीपक अवली
जगुरावत घन तम निसि चहुँ दिसि कुञ्ज कुञ्ज सब गेह गली || १ ||
बेनु के बेढ़ब माहि प्रजरत,जिमि लाल मनि मुक्ता बली ||
सकल कला गह बिकसहि चंदा बिकसाइ सब कुमोद कली || २ ||
बरन दिगंतर गौरज बेला साँझि गहे बरमाल चली ||
सीस धरे पिय के पग धुरी अभरत सुभग सेंदुर ढली || ३ ||
पाँव पधारत पँवरी पँवरी लागहि साँवरि रैन भली ||
दीप्ति मत मुख अंचल ढाँकी समीप सहुँ सकुचात चली || ४ ||
जर जर मनोहर दीपक अवली
जगुरावत घन तम निसि चहुँ दिसि कुञ्ज कुञ्ज सब गेह गली || १ ||
बेनु के बेढ़ब माहि प्रजरत,जिमि लाल मनि मुक्ता बली ||
सकल कला गह बिकसहि चंदा बिकसाइ सब कुमोद कली || २ ||
बरन दिगंतर गौरज बेला साँझि गहे बरमाल चली ||
सीस धरे पिय के पग धुरी अभरत सुभग सेंदुर ढली || ३ ||
पाँव पधारत पँवरी पँवरी लागहि साँवरि रैन भली ||
दीप्ति मत मुख अंचल ढाँकी समीप सहुँ सकुचात चली || ४ ||
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