Thursday, November 15, 2018

----- || राग-रंग ९ || -----,

धन धान सुख सम्पद दए बिरता दीप तिहार |
श्रम सिद्धि कर जोई के प्रमुदित खेतीहार ||

नाना बस्तु लेइँ चले सपताहिक के  हाट |
पंगत माहि सजाए पुनि बैसे चौहट बाट ||

बन गोचरी बनज गहे कुम्भ गहे कुम्हार |
हरिस हथौड़े कर लहे बैसे संग लुहार ||

आमल हर्रा बेहड़ा तीनि फला के मेल |
कतहुँ त बिकता मेलिआ कुम्हड़ कुसुम कुबेल |

रसना मदरस घोरि के मीठा मधुरिम बोलि |
काची खाटी ईमली धरे तुला दैं तोलि ||

लेलो लेलो मूँगफलि  रुपया में अध सेर |
कोउ ऊँचे हँकार दिए सौमुख लगाए ढेर ||

मूरि बैँगन रामकली सलजम सरकर कंद |
हेलिमेलि बतियाए रहि गाजरि गोभी बंद ||

हरिहर अरहर कीं फली उपजइँ गोमय खाद |
बाजरे केरि टीकड़ी तासौं देइ स्वाद ||

धनिआ तीखी मीरची चटनी केर प्रबंध |
अदरक सरिखा आमदा दए अमिआ के गंध |

कोउ कोपर थाल धरे अगर धूप सों दीप |
बेचें मनिमय झालरी दए मुक्ता सहुँ सीप ||

रसदालिका सिँगार के मंडपु दियो रचाए |
सालि ग्राम के सोंह रे तुलसी देउ बिहाए ||

धुजा पताका पट दिए बाँधौ ए बंदनिवारि |
मंगल कलस सुसाजिहु ए कदली देइ दुआरि ||

कहत जगो हे देवता सागर सदन त्याज |
जागरत आरंभ किजिओ जगकर मंगल काज ||





1 comment:

  1. अति उत्तम

    परम सम्मान के साथ
    क्षेत्रपाल्

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