धन धान सुख सम्पद दए बिरता दीप तिहार |
श्रम सिद्धि कर जोई के प्रमुदित खेतीहार ||
नाना बस्तु लेइँ चले सपताहिक के हाट |
पंगत माहि सजाए पुनि बैसे चौहट बाट ||
बन गोचरी बनज गहे कुम्भ गहे कुम्हार |
हरिस हथौड़े कर लहे बैसे संग लुहार ||
आमल हर्रा बेहड़ा तीनि फला के मेल |
कतहुँ त बिकता मेलिआ कुम्हड़ कुसुम कुबेल |
रसना मदरस घोरि के मीठा मधुरिम बोलि |
काची खाटी ईमली धरे तुला दैं तोलि ||
लेलो लेलो मूँगफलि रुपया में अध सेर |
कोउ ऊँचे हँकार दिए सौमुख लगाए ढेर ||
मूरि बैँगन रामकली सलजम सरकर कंद |
हेलिमेलि बतियाए रहि गाजरि गोभी बंद ||
हरिहर अरहर कीं फली उपजइँ गोमय खाद |
बाजरे केरि टीकड़ी तासौं देइ स्वाद ||
धनिआ तीखी मीरची चटनी केर प्रबंध |
अदरक सरिखा आमदा दए अमिआ के गंध |
कोउ कोपर थाल धरे अगर धूप सों दीप |
बेचें मनिमय झालरी दए मुक्ता सहुँ सीप ||
रसदालिका सिँगार के मंडपु दियो रचाए |
सालि ग्राम के सोंह रे तुलसी देउ बिहाए ||
धुजा पताका पट दिए बाँधौ ए बंदनिवारि |
मंगल कलस सुसाजिहु ए कदली देइ दुआरि ||
कहत जगो हे देवता सागर सदन त्याज |
जागरत आरंभ किजिओ जगकर मंगल काज ||
श्रम सिद्धि कर जोई के प्रमुदित खेतीहार ||
नाना बस्तु लेइँ चले सपताहिक के हाट |
पंगत माहि सजाए पुनि बैसे चौहट बाट ||
बन गोचरी बनज गहे कुम्भ गहे कुम्हार |
हरिस हथौड़े कर लहे बैसे संग लुहार ||
आमल हर्रा बेहड़ा तीनि फला के मेल |
कतहुँ त बिकता मेलिआ कुम्हड़ कुसुम कुबेल |
रसना मदरस घोरि के मीठा मधुरिम बोलि |
काची खाटी ईमली धरे तुला दैं तोलि ||
लेलो लेलो मूँगफलि रुपया में अध सेर |
कोउ ऊँचे हँकार दिए सौमुख लगाए ढेर ||
मूरि बैँगन रामकली सलजम सरकर कंद |
हेलिमेलि बतियाए रहि गाजरि गोभी बंद ||
हरिहर अरहर कीं फली उपजइँ गोमय खाद |
बाजरे केरि टीकड़ी तासौं देइ स्वाद ||
अदरक सरिखा आमदा दए अमिआ के गंध |
कोउ कोपर थाल धरे अगर धूप सों दीप |
बेचें मनिमय झालरी दए मुक्ता सहुँ सीप ||
सालि ग्राम के सोंह रे तुलसी देउ बिहाए ||
धुजा पताका पट दिए बाँधौ ए बंदनिवारि |
मंगल कलस सुसाजिहु ए कदली देइ दुआरि ||
कहत जगो हे देवता सागर सदन त्याज |
जागरत आरंभ किजिओ जगकर मंगल काज ||
अति उत्तम
ReplyDeleteपरम सम्मान के साथ
क्षेत्रपाल्