Wednesday, November 14, 2018

----- || राग-रंग ८ || -----,

ए बागे-वतन की वादे-सबा ठहरो तो ज़रा दमभर के लिए..,
मिरे दिल की दुआ तुम ले जाओ अपने अंजामे-सफ़र के लिए..,

ओ पैक़र मुल्के-सिलाही से ये पैग़ामे-मुहब्बत कह देना..,
इस काग़ज़े-नम को पढ़कर के अहदे-वफ़ा को रह देना..,
अब तक ये शम्में रौशन हैं सरहद के चरागे-सहर के लिए..,

बेलौस तुम्हारी राहों को रोकेंगे खिजाओं के साए..,
रख्खेगें तुम्हारे शानों पर शोला-ओ-सरर को सुलगाए..,
इस जाँ को हिफ़ाजत से रखना अपने जानो-दिलबर के लिए.....

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