----- || राग-भैरवी || -----
जगलग ज्योत जगाओ रे,
चहुँपुर निबिर अंधियार भयो हे जगन्मई पधराओ रे ..,
धरिअ करतल प्रभा प्रसंगा प्रगसो हे देवि हरि संगा..,
दिसि-बिदिसि उजराओ रे .....
पंथ कुपंथ केहि न बूझे, चलेउ कहाँ अजहुँ न सूझे,
माया मोह दुराओ रे ..,
जल जल भयउ दीपक रीते यह मावस करि रतिया न बीते
भूति बिभूति भर जाओ रे.,
दीपक संग जोत जगे देहरि संग द्वार |
प्रगसो हे ज्योतिर्मइ दूर करो अँधिआर ||
जगलग ज्योत जगाओ रे,
चहुँपुर निबिर अंधियार भयो हे जगन्मई पधराओ रे ..,
धरिअ करतल प्रभा प्रसंगा प्रगसो हे देवि हरि संगा..,
दिसि-बिदिसि उजराओ रे .....
पंथ कुपंथ केहि न बूझे, चलेउ कहाँ अजहुँ न सूझे,
माया मोह दुराओ रे ..,
जल जल भयउ दीपक रीते यह मावस करि रतिया न बीते
भूति बिभूति भर जाओ रे.,
दीपक संग जोत जगे देहरि संग द्वार |
प्रगसो हे ज्योतिर्मइ दूर करो अँधिआर ||
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