Friday, November 2, 2018

----- || राग-रंग ६ | -----

----- || राग-भैरवी || -----

जगलग ज्योत जगाओ रे, 
चहुँपुर निबिर अंधियार भयो हे जगन्मई पधराओ रे .., 

धरिअ करतल प्रभा प्रसंगा प्रगसो हे देवि हरि संगा.., 


दिसि-बिदिसि उजराओ रे ..... 

पंथ कुपंथ केहि न बूझे, चलेउ कहाँ अजहुँ न सूझे,

माया मोह दुराओ रे .., 

जल जल भयउ दीपक रीते यह मावस करि रतिया न बीते


भूति बिभूति भर जाओ रे.,

दीपक संग जोत जगे  देहरि संग द्वार |
प्रगसो हे ज्योतिर्मइ दूर करो अँधिआर || 

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