Thursday, July 24, 2025

----- || राग-रंग 63|| -----,

 || राग अहीर भैरव || 

गगन गगन में गहन घन छाए, 

बरसत बादल बूंद बिखराए....  


डारि डारि पर डोल हिंडोरे आँगन डोरि बँधाए

चारु चरन सब हाथ हथेली हरिअरि मेहंदि रचाए... 

सात सुरों के संगत रंगे, प्रीत संगीत सुनाए... .. 

सैंदूरी सी साँझ सुभ मंगल, सगुन श्रृंगार सजाए..... 

इन्द्र धनुष भेदे हरिदय, छन छनक छटा बिखराए. .... 

पंथ बिछावै पलक पँवारे, दरसे नैन लगाए..... 

घुमर घुमर यौं आवें मेघा, कि दूत संदेसा लाए..... 

जोग लिखे सखि राम सिया सों कब संजोग मेलाए..... 

रे हरियारो सावन आयो, हरियारे रंग रंगाए.....


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