सदरे जग से सुन्दर ए मेरे भारत देस।
तेरे सम्मुख सिस सहित नत नत नैन निमेष ॥१||
हिम गिरिवर मौली मुकुट तेरा सिस श्रंगार ।
सिंदूरि सी सूर्यकिरन देय तिलक लिलार॥२||
लिलार=मस्तक
हिम वान पर मानस सर शशि शेखर का शृंग।
ऊँकार कर गुंज रहे, भँवर भ्रमरते भृंग ||३||
हिम वान=कैलास ,हिमालय... मानससर=मानसरोवर शशिशेखर=शिवजी,श्रंग =जटा चोटीभ्रमर भ्रमरते भृंग= परिक्रमा पथ पर परिक्रमा करते भँवरे स्वरूप भक्त, मानस सर =मान सरोवर
कलित कंढ को कर रही दे जय माल तरंग।
हृदय तेरे उतर रही कल कल बहती गंग ।l४||
कलित=विभूषित
शस्य शील ए वसुंधरा तुझको नमस्कार।
तीन सिंधु यह कह रहे तेरे चरण पखार॥५||
गाँव गाँव सब पुर नगर तेरे तीरथ धाम।
घर घर मंदिर रूप है जन जन सीता राम ॥६||
राम का आदर्श चरित्र,यह गीता का उपदेश l
अखिल विश्व को दे रहा सद पथ का संदेश ll७||
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