Monday, July 14, 2025

----- || राग-रंग 59 | -----,

धौल गिरि से गिरे गंगा की पावन अर्द्धांगी  धारा ।

यहाँ त्रिजट त्रिलोकि त्रिपुण्ड्र धरे वासे नाथ केदारा ।।१|| 


शिव शशिभूषण शिव त्रिशूल धर शिव शङ्कर ओंकारा | 

शिव के शेखर कर जल अर्पण शिव शिव कह जग सारा ||२||  


शिव शैल राज गौरी गिरिवर शिव सब देव दुआरा | 

शिव काशी कैलास निवासी शिव सब चौंक चौबारा ||३||  


नवल नीलोत्पल गरल कंठ शिव भुज भुजङ्गि हारा | 

शिव महाकाल  उज्जैन नगर हर हर कह उच्चारा ||४||  


शिव प्रियङ्कर शिव सिरोधर कर पारग सिंधु अपारा | 

 राम रमेश्वर रमा नरेश ने लंका को उपकारा  ||५||  


बैद्य नाथ के धाम धरे जन कंधे काँवड़ भारा |

यहाँ शिवंकर धरनी पर धर रावण गया सँहारा ||६|| 


त्रयंबकेश स्वरूप महेश का जप जग उद्धारा | 

ब्रह्म गिरि से गोदावरी की धारा ले अवतारा ||७|| 

सोमनाथ के शिव की महिमा त्रिभुवन में अपरम्पारा | 

इस ज्योतिर् लिंग की ज्योति ने जग को उजियारा ||८|| 


डमरूधर का जब डमरू डम डम डम ध्वनित कारा | 

घुश्मेश्वरम में परम भगत बम बम बोल पुकारा ||९|| 


नटवर नागधर नागेश्वर दारूकावन आधारा | 

गगन गगन में गूंज रहा शिव शम्भो का जयकारा ||१०|| 

          

शिव भस्म भूत अभय भयंकर शिव श्मशान विहारा | 

श्रीशैलम में शृंगप्रियम् का दर्शे दर्श न्यारा ||११||  


शिव सत्यम् शिवम् सुंदरम् शिव भव प्रलयंकारा | 

रुद्ररूपधर महादेव ने भीमा को उद्धारा ||१२||  

शिव प्रियंकर = रुद्राक्ष,धतूरा,बिल्वपत्र, इत्यादि 



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