Monday, July 21, 2025

----- || राग-रंग 62 || -----,


-----|| राग मालकौंस || -----

("भोले नाथ से निराला कोई और नहीं" के भजन की लय पर आधारित ) 

 सिय राम बिबाहु के जूँ जगे नैन अभिलाष | 

 लगन पत्रिका दूत लिये पहुंचे दसरथ पास ||| 

दसरथ जी लायें चिठियाँ, हम कर जोर खड़े | 

   घेरे हमको ये पहरी चारोँ ओर खड़े || 


याकीँ पतियाँ रंग बिरंगी जामें सतरंगी धारी | 

हरि चन्दन मृग कस्तूरी की सौंधि सौगन्धि घारी || 

गंधेउ गज की गंधिरी औरु भाँवरे पाछे पड़े.....


याकीँ पतियाँ खिलीं कौंपलें  कौसुम कली की क्यारी | 

लता मंडप एक कुञ्ज गली जहँ फूल रही फुलबारी 

चम्पा बेल चमेली के जी प्यारे बूटे कढ़े....  



याकीँ पतियाँ है सुन्हरिआँ गढ़ी बँधीं सौं हारी | 

चंदा तारी धरे कगारी गढ़ियाई जिन सुनिआरी || 

चुग चुग जोग जड़ाऊ जी हीरे मोतिआँ जड़े..... 



याकीं पतियाँ सोधि सुदिन सब नख मंडल चिन्हारी  | 
पुण्य घड़ी सुभ मंगल बेला परखत लगन उघारी || 
चौघड़िया महूरतिआ जी जोग लिखी लेइँ पढ़े.... 

याकीँ पतियाँ खोल भरीँ चकि चाकौरी चितकारी | 

किरिंच किरन को साँठि करी फिर गाँठि परी रसियारी || 

पद पद छंद ते छनके कनके कनी के झड़ें....  


याकीं पतियाँ बाँधी नूपुर अरु रुनुरु झुनुरु झनकारी | 

पेखत साँचे माल मनीचे अति मनभावन मनियारी || 

 तीरछे ताकते पाछे जी चातुर चोर पड़े....  


मनमोहन ल्याएं चिठियाँ हम कर जोर खड़े..... 

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