Tuesday, May 7, 2019

----- || राग-रंग 22 | -----,

------ || आम का अचार || ------
ले लो ले लो बाबुजी काचे काचे आम |
भरी बाँस  की टोकरी दोइ टका हसि दाम ||

साक पात फल कंद लिए बैसे बाट किनार |
हाट लगाए तुला धरे हाँक देइ हटबार ||

कोउ  सरौता कर गहे ऊँचे रहैं पुकार |
कटे आम त अचार है न तरु होत बेकार ||

हरदि लौन लगाई के फाँका दियो सुखाए |
सत कुसुमा तिछनक संग मेथी दएँ  मेलाएँ ||

बहुरि तिछ्नक तैल संग मेलत सबहीं फाँक |
काँचक केरे भाँड में भरिके राखौ ढाँक ||

शतकुसुमा = सौंफ
 तीक्ष्णक = पीली सरसौं
काँचक केरे भाँड = काँच का भाजन

----- || राग-ललित || -----
ज्वाल ज्वाल भए दिनकर मुख दरपत दहुँ दिसि दरस रहे |
जारन जिउजन किरन कर छन छन जुआला कन बरस रहे ||
कररत करषि भू त करषक करष करालिक कर गहे |
दहे दव दहे भव त दली नव दवनहि केसवाजुध लहे ||


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