Tuesday, May 29, 2018

----- || नई स्वतंत्रता || -----

----- || नई स्वतंत्रता || -----

हव्य वाहावाहवि नई स्वतंत्रता लिए..,
ज्वाल दो बाल दो सौभाग्य के नए दीये..,

हवन बना ह्रदय भवन धूम लोहिता गगन..,
क्रोध है विरोध है तो क्यूँ हो होठों को सीए..,

 रोम रोम व्याकुलित हो प्राण प्राण प्रज्वलित
 दाह हो प्रदाह हो आह्वान की हो लौ लिये..,

आहार हो विहार हो आहा ! आहार्य वेश हो..,
क्रांति है विक्रांति है तो क्यूँ हलाहल पियें.....

         हव्य = आहुति , बलिदान
वाहावाहवि = हाथो-हाथ

'एक पुरानी रचना'



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