Thursday, May 24, 2018

----- || राग-रंग 2 || -----


----- || रागललित || -----

ख़ुदा की ये दुन्या खुदा की ये राहें,
हरेक उफ़ तलक हों रहम की निगाहें..,

वो सतहे पे हो याके बह्रे-तबक़ पे,
जो क़दमों तले हो सुनो उसकी आहें..,

ख़ुदा-बंद का ही है ये काऱखाना,
हो मासूमो-महरूब के हक़ में पनाहें..,

दयानत से उठे हाथ दुआ के लिए,
के हम दरियादिल हों गाहे-बेगाहे.....

बह्रे-तबक़ = समुद्र की तलहटी
मासूम = निर्दोष 
महरूब = मारा गया, घायल 
ख़ुदा का कारख़ान = जगत का प्रपंच 

1 comment:

  1. वाह , वाह , वाह
    सादर नमस्कार , क्षेत्रपाल 24.5.18

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