----- || रागललित || -----
ख़ुदा की ये दुन्या खुदा की ये राहें,
हरेक उफ़ तलक हों रहम की निगाहें..,
वो सतहे पे हो याके बह्रे-तबक़ पे,
जो क़दमों तले हो सुनो उसकी आहें..,
ख़ुदा-बंद का ही है ये काऱखाना,
हो मासूमो-महरूब के हक़ में पनाहें..,
दयानत से उठे हाथ दुआ के लिए,
के हम दरियादिल हों गाहे-बेगाहे.....
बह्रे-तबक़ = समुद्र की तलहटी
मासूम = निर्दोष
महरूब = मारा गया, घायल
ख़ुदा का कारख़ान = जगत का प्रपंच
वाह , वाह , वाह
ReplyDeleteसादर नमस्कार , क्षेत्रपाल 24.5.18