----- || राग-दरबार ||-----
ऐ घटाओं तुम्हेँ और निखरना होगा,
बनके काजल मेरी आँखों में सँवरना होगा,
ऐ संदर मेरी हृदय की धरती से उठो.,
बूँद बनकर तुम्हेँ पलकों से उतरना होगा..,
जिसके होठों की सरगम हूँ शहनाई हूँ..,
कहे रो रो के वो बाबुल अब मैं पराई हूँ.....
ऐ घटाओं तुम्हेँ और निखरना होगा,
बनके काजल मेरी आँखों में सँवरना होगा,
ऐ संदर मेरी हृदय की धरती से उठो.,
बूँद बनकर तुम्हेँ पलकों से उतरना होगा..,
जिसके होठों की सरगम हूँ शहनाई हूँ..,
कहे रो रो के वो बाबुल अब मैं पराई हूँ.....
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