Thursday, September 13, 2012



कतरे कतरे सिपर सीम अंदामे-समंदर..,
गोहरें-गलतां भर लायें हैं कश्तियाँ लगाकर.....

शमईं शम्स की उठी हस्तियाँ सिपहर सर..,
माहे-अख्तर उतर आये हैं कश्तियाँ लगाकर.....

दह दह दहकान दर दस्तियाँ दहाने पर..,
रख्शे-जानो-जिगर लाये हैं कश्तियाँ लगाकर..... 

No comments:

Post a Comment