ا
बदस्तूर दस्तपर रंगे हिनाई से लिखा..,
दस्तीभर कलमतर रंगे रौशनाई से लिखा..,
हजारा हरफ सरे-दामन इक शब..,
ऐगुल तुझे खुबसूरत रुबाई से लिखा.....
सितारे शबे-सर थे सहर में खो गए..,
पहरों ढले शाम हुई आशकार हो गए.....
SUNDAY, JUNE 10, 2012
WEDNESDAY, JUNE 13, 2012
गुले-आब नौ बहार नौ रंग हस्ती है..,
दीदा-ए-आबीदाँ-आबीदाँ बरसती है.....
SDAY, JTHURULY 12, 2012
सफा सफ्फे की ही बदल थी..,
या के शफ्फाफ सफ़हे की ग़जल थी..,
कहीं कोई था के दागदाँ था..,
कहीं तो उढ़ता सा धूंआ था..,
अबके अब्रो-आब में यूँ इंकलाब आया..,
के लहू लिपट के कतरों से बहे जाता है.....
सितारे शबे-सर थे सहर में खो गए..,
पहरों ढले शाम हुई आशकार हो गए.....
SUNDAY, JUNE 10, 2012
WEDNESDAY, JUNE 13, 2012
गुले-आब नौ बहार नौ रंग हस्ती है..,
दीदा-ए-आबीदाँ-आबीदाँ बरसती है.....
SDAY, JTHURULY 12, 2012
सफा सफ्फे की ही बदल थी..,
या के शफ्फाफ सफ़हे की ग़जल थी..,
कहीं कोई था के दागदाँ था..,
कहीं तो उढ़ता सा धूंआ था..,
अबके अब्रो-आब में यूँ इंकलाब आया..,
के लहू लिपट के कतरों से बहे जाता है.....
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